"मेरी महान बेटी "
मेरे प्रेम की अनमोल पहचान हो तुम
जिन्दगी के रास्ते पे चलती रहो .
तु रूह का सकून और प्राण हो
भगवान के मन्दिर में
जलती हुई ज्योति हो तुम
अपनी दुनिया को सहेजने के लिये
हमेशा परेशान
पर " देवी" तुम कभी न हो पाओगी
मेज कुर्सी चाय का कप
पैर की उतरन
तुम्हारे खून में बह रहा है खून मेरा
उस के लिये अभी
बहुत कुछ जानना है
तुम्हें रहना है एक
बहती हुई पवित्र नदी की तरह
जिस के साथ
लोगों कि अनाम आस्था जुडी है
मैं रहूँ न रहूँ कोई रहे न रहे
तुम रहोगी , तुम जमीन हो
तुम से ही उपजती है
आने वाले जीवन की
खुदा की अनमोल देन
अनजान लोगों को अपना बना कर
खुद में समां लेना
सब को प्रेम और बाँटना
सारी दुनिया में
अनमोल लोगों के साथ ही
अनाम लोगों के साथ् आपने अगम
रास्ते पर चलते जाना
पवित्र ग्रन्थो की आत्मा हो तुम
मेरी जान जिन्दगी नहीं लगती थी तेरे बिना
पर मेरे माँ होने कि पहचान हो तुम
द्वारा नीरजा
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