रविवार, 16 दिसंबर 2012

चला गया वो.......

चला गया वो........
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चला गया वो
कह कर फिर मिलूँगा ,
चला गया वो 

लगता है सदीओं से खड़ी हूँ वहीँ
जहाँ से गया है वो
मैंने कहा जिन्दगी प्यार है
तुमने सुधारा -नहीं प्यार जिन्दगी है
फिर जिन्दगी क्या है -पूछा मैंने
उत्तर में-तुम देखने लगे
देर रात तक यूँ ही कुछ कुछ बतियाते
लगता है करेंगे हम नया कुछ शुरू
पुरानी यादों फिर फिर दोहराते
डूबते सूरज के साथ
क्यूँ खींच रहे हो मेरी तस्वीर
तुम मुस्कुराये और क्लिक कर दिया
कहते हुए कि अच्छी आयेगी तस्वीर
अब भी लिखते हो प्रेम कवितायेँ ?
वर्षों बाद मिलने पर पुछा था तुमने
लिखुगा
पर तब तक दूर जा चुके थे तुम 

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